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सनातन : धर्म और विज्ञान

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ऋषियों, मुनियों ने अपने अभ्यास और अनुभवों को बहुत शानदार तरीके से साधारण जन कल्याण हेतु लिखा है।
इसमें जीव विज्ञान, शरीर के प्रत्येक तत्व (कण कण, अंग-अंग) का विस्तृत अध्ययन किया गया तथा अनुभवों को (साकार, निराकार) रचना में ढाल दिया।
इतना ही नहीं विज्ञान समझने के लिए कहानी, किस्सो का रूप दिया गया (रामायण, महाभारत, देवी-देव पुराण आदि) ताकि जो हम साधारणत: न स्मरण रख सकें तो कहानी रूप आसानी से हो सकता है।
यह ऐसे ही जैसे आजकल बच्चे कार्टून फिल्म (स्पाईडर मैन, हैरी पाँटर) के जरिए बड़ी से बड़ी बात आसानी से स्मरण कर लेते हैं।
यह सारी भूमिका “मैंने” इसलिए बनाई है ताकि “मानना व जानना और अनुभव ” (ज्ञान, धर्म, विज्ञान) के बीच जो गहन रिश्ता व सामंजस्य है उसपर कुछ प्रकाश डाला जाए।
यह बिलकुल इतना सहज है जैसे “मैं” माता के गर्भ से पैदा होने के बाद धीरे-धीरे अंगुली पकड़ फिर पिता को, भाई को, बहन को, अन्य सांसारिक रिश्तों को मान लेते है ईसका कोई “प्रमाण” तो नहीं मांगते। ईसके बाद जब स्वयं की दुनिया में प्रवेश करते हैं तो अपना अनुभव भी हो जाता है। इसी प्रकार:
“हनुमान चालीसा ही नहीं सभी देवी-देवताओं की प्रमुख स्तुतियों में चालिस ही दोहे होते हैं? “
विद्वानों के अनुसार चालीसा यानि चालीस, संख्या चालीस, हमारे देवी-देवीताओं की स्तुतियों में चालीस स्तुतियां ही सम्मिलित की जाती है। जैसे श्री हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, शिव चालीसा आदि। इन स्तुतियों में चालीस दोहे ही क्यों होती है? इसका धार्मिक दृष्टिकोण है। इन चालीस स्तुतियों में संबंधित देवता के चरित्र, शक्ति, कार्य एवं महिमा का वर्णन होता है।
चालीस चौपाइयां हमारे जीवन की संपूर्णता का प्रतीक हैं, इनकी संख्या चालीस इसलिए निर्धारित की गई है क्योंकि मनुष्य जीवन 24 तत्वों से निर्मित है और संपूर्ण जीवनकाल में इसके लिए कुल 16 संस्कार निर्धारित किए गए हैं। इन दोनों का योग 40 होता है।
इन 24 तत्वों में 5 ज्ञानेंद्रिय, 5 कर्मेंद्रिय, 5 महाभूत, 5 तन्मात्रा, 4 अन्त:करण शामिल है।
सोलह संस्कार इस प्रकार है- 1. गर्भाधान संस्कार 2. पुंसवन संस्कार 3. सीमन्तोन्नयन संस्कार 4. जातकर्म संस्कार 5. नामकरण संस्कार 6. निष्क्रमण संस्कार 7. अन्नप्राशन संस्कार 8. चूड़ाकर्म संस्कार 9. विद्यारम्भ संस्कार 10. कर्णवेध संस्कार 11. यज्ञोपवीत संस्कार 12. वेदारम्भ संस्कार 13. केशान्त संस्कार 14. समावर्तन संस्कार 15. पाणिग्रहण संस्कार 16. अन्त्येष्टि संस्कार।
भगवान की इन स्तुतियों में हम उनसे इन तत्वों और संस्कारों का बखान तो करते ही हैं, साथ ही चालीसा स्तुति से जीवन में हुए दोषों की क्षमायाचना भी करते हैं। इन चालीस चौपाइयों में सोलह संस्कार एवं 24 तत्वों का भी समावेश होता है। जिसकी वजह से जीवन की उत्पत्ति है।

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